पीसीओडी क्या है – कारण, लक्षण और उपचार

पीसीओडी


आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली, अनियमित भोजन की आदतें और तनावपूर्ण जीवन के कारण महिलाओं में अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं। इनमें से ही एक समस्या है पीसीओडी, जिसे वैज्ञानिक भाषा में पॉलीसिस्टिक ओवरी डिज़ीज़ कहा जाता है। यह महिलाओं में होने वाली हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी एक चिकित्सा स्थिति है, जिसमें अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बनने लगते हैं। पीसीओडी के कारण मासिक धर्म अनियमित हो जाता है, वजन बढ़ने लगता है, चेहरे पर अनचाहे बाल आने लगते हैं और कभी-कभी त्वचा और बालों की समस्या भी गंभीर रूप ले लेती है। भारत में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है और आज लाखों महिलाएँ इससे प्रभावित हैं, विशेषकर युवा वर्ग में इसकी संख्या अधिक देखी गई है। पीसीओडी कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है। यह धीरे-धीरे शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों का परिणाम है। कई महिलाएँ इस समस्या को नजरअंदाज कर देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पीरियड का लेट होना या वजन बढ़ना सामान्य प्रक्रिया है। जबकि सच यह है कि अगर इस समस्या का समय पर निदान और उपचार नहीं किया गया तो आगे चलकर यह गर्भधारण में कठिनाई पैदा कर सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि महिलाएँ अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें और छोटे लक्षणों को भी अनदेखा न करें।

पीसीओडी क्या है?

पीसीओडी वह स्थिति है जिसमें महिला की अंडाशय सामान्य रूप से काम नहीं करती और उसमें अंडे विकसित होने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इसके कारण अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी छोटी-छोटी थैलियाँ बन जाती हैं जिन्हें सिस्ट कहा जाता है। इस स्थिति में महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन यानी एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे उनके मासिक चक्र पर असर पड़ता है। सामान्य भाषा में कहें तो पीसीओडी शरीर में हार्मोन के असंतुलन से बनने वाली एक चिकित्सा स्थिति है।

पीसीओडी के क्या कारण हैं?

पीसीओडी के कारण कई प्रकार के हो सकते हैं लेकिन सबसे सामान्य कारण बदलती जीवनशैली है। आजकल अधिकांश महिलाएँ बाहर का खाना ज़्यादा खाती हैं जिसमें अधिक मात्रा में तेल, मसाले, चीनी और प्रॉसेस्ड पदार्थ होते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ शरीर के हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ते हैं। इसके साथ ही तनाव भी पीसीओडी का बड़ा कारण है। तनाव के कारण शरीर में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जो आगे चलकर हार्मोनल असंतुलन को जन्म देता है। कुछ महिलाओं में पीसीओडी आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है। यदि परिवार में माता, बहन या अन्य महिला रिश्तेदार को पहले से पीसीओडी रहा है तो अगली पीढ़ी में इसके होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा मोटापा भी एक बड़ा कारण है। जब शरीर का वजन बढ़ता है तो इंसुलिन का स्तर असामान्य हो जाता है और वही हार्मोनल असंतुलन को जन्म देता है।

पीसीओडी के सामान्य लक्षण क्या हैं?

पीसीओडी के लक्षण व्यक्ति विशेष के अनुसार बदल सकते हैं लेकिन सबसे सामान्य लक्षणों में मासिक धर्म का अनियमित होना शामिल है। महिलाओं को या तो लंबे अंतराल पर पीरियड आते हैं या फिर कभी-कभी महीनों तक पीरियड नहीं आते। इसके साथ ही चेहरे, ठुड्डी और शरीर के अन्य हिस्सों पर अनचाहे बाल आना इस समस्या का आम संकेत है। यह पुरुष हार्मोन बढ़ने का संकेत है। इसके अलावा कई महिलाओं में वजन बढ़ने की समस्या देखी जाती है, खासकर पेट के आसपास चर्बी जमा होने लगती है। कुछ महिलाओं को लगातार थकान, मुंहासे, बाल झड़ना, हेयर थिनिंग और नींद संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं। कई बार यह समस्या मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है जिससे चिंता, अवसाद और मूड स्विंग जैसी परिस्थितियाँ पैदा हो सकती हैं।

पीसीओडी की जांच कैसे होती है?

पीसीओडी का निदान केवल लक्षणों के आधार पर नहीं किया जाता। डॉक्टर अंडाशय की स्थिति समझने के लिए अल्ट्रासाउंड जांच करवाते हैं। इसमें अंडाशय पर मौजूद सिस्ट दिखाई देते हैं। इसके अलावा कई प्रकार की ब्लड जांच भी जरूरी होती हैं जिनमें हार्मोन स्तर, इंसुलिन स्तर और शुगर स्तर जांचा जाता है। इसी वजह से महिलाओं को भरोसेमंद पैथोलॉजी लैब में ही परीक्षण करवाना चाहिए। अगर आप लखनऊ में हैं तो चंदन डायग्नोस्टिक सेंटर लखनऊ महिलाओं के लिए हेल्थ चेकअप, फुल बॉडी चेकअप और हार्मोनल जांच के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प माना जाता है। यहाँ पर उपलब्ध हेल्थ चेकअप पैकेज सुरक्षित, सटीक और आधुनिक तकनीक द्वारा किए जाते हैं। यदि आप व्यस्त हैं या अस्पताल जाने में असुविधा महसूस करती हैं, तो आप ऑनलाइन हेल्थ चेकअप बुक करें सुविधा का लाभ भी उठा सकती हैं।

पीसीओडी का उपचार किस तरह होता है?

पीसीओडी का उपचार हर महिला के शरीर, लक्षण और स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। उपचार का मुख्य उद्देश्य हार्मोन को संतुलित करना, मासिक धर्म नियमित करना और लक्षणों को कम करना होता है। डॉक्टर अक्सर महिलाओं को जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह देते हैं क्योंकि पीसीओडी का सबसे प्रभावी इलाज जीवनशैली बदलने से होता है। नियमित व्यायाम, दौड़ना, साइकिल चलाना, योग और ध्यान न केवल वजन घटाने में मदद करते हैं बल्कि यह तनाव भी कम करते हैं जो पीसीओडी की समस्या को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आहार में बदलाव भी बेहद जरूरी है। महिलाओं को ताजे फल, सब्जियाँ, कम वसा वाला भोजन और दालें अधिक मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है। दूसरी ओर जंक फूड, मीठे पदार्थ, मैदा, बेकरी आइटम और कोल्ड ड्रिंक से दूरी बनाना चाहिए। कुछ मामलों में डॉक्टर दवाइयों का सहारा लेते हैं ताकि पीरियड नियमित हो सकें या मुंहासे और चेहरे के अनचाहे बाल नियंत्रित किए जा सकें। यदि महिला गर्भधारण की योजना बना रही हो, तो विशेषज्ञ उपचार किया जाता है ताकि ओवरी सही तरीके से अंडे रिलीज कर सके।

पीसीओडी से बचाव के उपाय

पीसीओडी से बचाव पूरी तरह संभव है अगर महिलाएँ समय पर अपनी जीवनशैली में सुधार करना शुरू कर दें। संतुलित आहार लेना, नियमित एक्सरसाइज करना, पर्याप्त नींद लेना, तनाव कम करना और समय-समय पर फुल बॉडी चेकअप करवाना बेहद जरूरी है। खासकर उन महिलाओं को जो पीसीओडी परिवारिक इतिहास रखती हैं, उन्हें सावधानी अधिक रखनी चाहिए।

निष्कर्ष

पीसीओडी कोई डरने वाली बीमारी नहीं है बल्कि यह शरीर द्वारा दिया गया संकेत है कि अब अपनी सेहत पर ध्यान देने की जरूरत है। सही जानकारी, सही समय पर जांच और सही उपचार से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। महिलाएँ अक्सर अपनी स्वास्थ्य जरूरतों को नजरअंदाज कर देती हैं लेकिन समय पर कदम उठाना ही भविष्य में आने वाली जटिलताओं से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका है। यदि आपको पीसीओडी के लक्षणों का संदेह है तो बिना देर किए जांच करवाएँ और अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।

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